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चंपावत को वोकल फॉर लोकल आधारित आर्थिकी एवं पारिस्थितिकी के रूप में खड़ा किया जायेगा- मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखण्ड पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘‘एनुअल वाटर क्वालिटी रिपोर्ट 2021‘‘ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि चंपावत को वोकल फॉर लोकल आधारित आर्थिकी एवं पारिस्थितिकी के रूप में खड़ा किया जायेगा, ताकि हिमालय के लिए यह एक मॉडल बन सके। उन्होने कहा कि सचिवालय एवं विधानसभा को प्लास्टिक मुक्त बनाया जायेगा। प्लास्टिक मुक्ति का अभियान निरन्तर चलाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी शहरों में स्वच्छता अभियान चलाया जाए। देहरादून से इसकी शुरुआत की जाए, उसके बाद अन्य शहरों में स्वच्छता के अभियान चलाये जाए। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रत्येक जनपद में 75 आर्द्रभूमियों की पहचान कर उनका जीर्णोद्धार करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा, पर्यावरण पर्यटन की दिशा में भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी विशेष ध्यान रखें कि जनपदों के दुर्गम क्षेत्रों में मार्गों की कनेक्टिविटी अच्छी हो, कनेक्टिविटी की छोटी-छोटी योजनाओं को प्राथमिकता पर रखा जाए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड को प्रकृति का वरदान है। हमारा प्रदेश जैव विविधताओं वाला प्रदेश है। पर्यावरण का संरक्षण करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें पर्यावरण मॉडल की दिशा में कार्य करना होगा। हमारी आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध जल, हवा, मिट्टी एवं पर्यावरण मिले, इसके लिए पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण पर सभी को विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि तापमान में वृद्धि एवं जल स्तर का नीचे जाना चिंता का विषय है। जल संचय एवं जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में कार्य किये जाएं। जल संरक्षण की दिशा में प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  द्वारा देशभर में अमृत सरोवर की शुरुआत की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘‘केवल एक पृथ्वी’’ है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी ने हमको सब कुछ दिया है। हमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना होगा। जीडीपी के साथ जीईपी का आकलन करना जरूरी है।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्वतीय राज्य होने के कारण पर्यावरण संरक्षण के लिए सबको अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। जंगल हमें विरासत में मिला है। इनके संरक्षण के लिए हमें इनको लोगों की आजीविका से जोड़ना होगा। इकोलॉजी बेस एम्प्लॉयमेंट को जनरेट करना होगा। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण और उनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। वृक्षारोपण एवं उनके संरक्षण के लिए हर विभाग को अलग-अलग क्षेत्र क्षेत्र देकर उनकी जिम्मेदारी तय करनी होगी। वन पचायतों को मजबूत करने के साथ ही उनको आजीविका से जोड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विकास सतत चलने वाली प्रक्रिया है। विकास एवं पर्यावरण में संतुलन बनाये रखना जरूरी है।

पर्यावरणविद्, डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्रीश्री पुष्कर सिंह धामी राज्य को इकोलॉजी और इकोनॉमी से जोड़कर आगे बढ़ाना चाहते हैं, यह एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बहुत जरूरी है। उत्तराखण्ड देवभूमि है और देवों का हमेशा प्रकृति से जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा कि तापमान वृद्धि से ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, चिंताजनक है। राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए निरन्तर प्रयोग होने चाहिए।

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